नहीं! सच नहीं है ये कि
मैंने खुद को मारा है!
मैं अतुल हूँ, ये सिस्टम मेरा हत्यारा है!!
बुझा हुआ था मन के भीतर,
ढोता रहा ये तन अब तक।
खून की प्यासी जज और बीवी,
यूँ सांस मैं ले पाता कब तक?
टूट चुका कर कोर्ट-कचहरी,
यहाँ किसका मुझे सहारा है?
मैं अतुल हूँ! ये सिस्टम मेरा हत्यारा है!!
माँ-पिता का लाडला मैं,
भाई का मैं शान भी।
छोड़ चला उनको भी अब,
इंसाफ के खातिर
मेरा जीवन कुर्बान सही!!
समझ सको तो दर्द समझना,
मेरे रोते हुए दिल ने
किस-किस को नहीं पुकारा है।
मैं अतुल हूँ! ये सिस्टम मेरा हत्यारा है!!
कितने अतुल तो गुमनाम रह गए,
जीते-जी सबने उनको धिक्कारा है।
खुली आँखों से देखो दोस्तों,
ये सिस्टम मेरा हत्यारा है!!